CTRL Movie Review : स्टर्ल मूवी रिव्यु

CTRL Movie Review
CTRL Movie Review

CTRL Movie Review : स्टर्ल मूवी रिव्यु: फिल्म “CTRL” (कंट्रोल) नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई एक नई फिल्म है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और हमारी डिजिटल दुनिया में इसके प्रभावों को दर्शाती है। फिल्म का निर्देशन विक्रमादित्य मोटवाने ने किया है, जो पहले भी कई शानदार फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं। हालांकि, इस बार उनकी कोशिशें उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हो पाई हैं। फिल्म कई ऐसे मुद्दों पर फोकस करती है जो हम पहले से जानते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में अनुभव करते हैं।

CTRL Movie Review : स्टर्ल मूवी रिव्यु

CTRL Movie Review : स्टर्ल मूवी रिव्यु
CTRL Movie Review : स्टर्ल मूवी रिव्यु

कहानी और उसकी आधारशिला

“CTRL” की कहानी मुख्य रूप से सोशल मीडिया, डेटा प्राइवेसी, और AI की खतरनाक संभावनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म की शुरुआत एक युवा लड़की अनन्या पांडे के किरदार से होती है, जिसका बॉयफ्रेंड उसे धोखा देता है। अनन्या का दिल टूट जाता है, और वो एक AI असिस्टेंट (मड AI) की मदद लेती है, जिससे वह अपनी जिंदगी से अपने बॉयफ्रेंड की हर निशानी मिटा देना चाहती है।

मड AI उसके सारे फोटोज और वीडियोज से उसके बॉयफ्रेंड की तस्वीरें और जानकारी मिटा देता है। पर कहानी यहीं से मोड़ लेती है, जब अनन्या का बॉयफ्रेंड अचानक असल जिंदगी से गायब हो जाता है। यह घटना अनन्या के लिए भी चौंकाने वाली होती है, और वो उसे खोजने की कोशिश में जुट जाती है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, अनन्या का किरदार और ज्यादा उलझनों में घिरता जाता है। उसे इस बात का एहसास होता है कि AI ने न सिर्फ उसकी डिजिटल लाइफ से, बल्कि असल जिंदगी से भी उसके बॉयफ्रेंड को गायब कर दिया है।

AI और उसका प्रभाव

फिल्म का मुख्य मुद्दा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है। आजकल AI का इस्तेमाल हर जगह हो रहा है, चाहे वह शॉपिंग हो, सोशल मीडिया हो, या फिर हमारे स्मार्टफोन में वॉयस असिस्टेंट्स का इस्तेमाल। फिल्म इस बात पर फोकस करती है कि कैसे अगर हम AI को नियंत्रित न करें तो यह हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है।

फिल्म में डेटा प्राइवेसी और सोशल मीडिया एप्स के टर्म्स एंड कंडीशन्स पर भी ध्यान दिया गया है। यह दिखाया गया है कि कैसे हम अक्सर बिना पढ़े टर्म्स एंड कंडीशन्स को एक्सेप्ट कर लेते हैं, जिससे हमारा डेटा खतरे में पड़ सकता है। लेकिन इसमें कोई नया एंगल नहीं है। फिल्म इस मुद्दे को बहुत ही सामान्य तरीके से प्रस्तुत करती है, जिससे यह कुछ खास नया नहीं लगता।

गहरे मुद्दों की कमी

फिल्म में कई मुद्दों को छूने की कोशिश की गई है – जैसे डेटा ब्रीचिंग, सोशल मीडिया के खतरनाक परिणाम, AI का दुरुपयोग – लेकिन किसी भी मुद्दे को गहराई से एक्सप्लोर नहीं किया गया है। सबकुछ बहुत ही सतही तरीके से पेश किया गया है, जिससे दर्शकों को फिल्म से ज्यादा जुड़ाव नहीं हो पाता।

इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। 2014 की फिल्म “ब्लैक मिरर” और उससे पहले की कई फिल्मों में AI के खतरों को बहुत ही रोचक और चौंकाने वाले तरीके से दिखाया गया था। “CTRL” इस मामले में कुछ नया पेश करने में असफल रही है।

अनन्या पांडे और अन्य किरदारों की परफॉर्मेंस

अनन्या पांडे ने इस फिल्म में अपनी एक्टिंग में सुधार किया है। हालांकि, उनका किरदार उतना चुनौतीपूर्ण नहीं था, जितना होना चाहिए था। वह एक बार फिर उसी तरह के किरदार में नजर आती हैं, जैसा उन्होंने पहले भी निभाया है। उनकी परफॉर्मेंस अच्छी थी, लेकिन इसमें कुछ नया या चौंकाने वाला नहीं था।

विहान समत, जो मेल लीड के रूप में थे, की एक्टिंग भी ठीक-ठाक थी। लेकिन उनकी प्रतिभा को सही से इस्तेमाल नहीं किया गया। फिल्म का स्क्रीनप्ले उनके किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाया, जिससे वह दर्शकों पर कोई गहरी छाप नहीं छोड़ पाए।

फिल्म की कमजोर कड़ियाँ

  1. कहानी की साधारणता: फिल्म की कहानी बहुत ही सीधी और साधारण है। इसमें कोई बड़ा ट्विस्ट या सरप्राइज एलिमेंट नहीं है, जो दर्शकों को चौंका सके। हर चीज पहले से ही अनुमानित लगती है, जिससे फिल्म का आकर्षण कम हो जाता है।
  2. डेटा प्राइवेसी और AI पर बासी दृष्टिकोण: AI और डेटा प्राइवेसी जैसे विषयों पर बात करना 2024 में नया नहीं है। आज हर कोई इन विषयों के बारे में जानता है, और फिल्म में कुछ भी ऐसा नहीं दिखाया गया, जो दर्शकों के लिए नया हो।
  3. दीपफेक का कमजोर प्रस्तुतीकरण: फिल्म में दीपफेक तकनीक का भी जिक्र किया गया है, लेकिन इसे बहुत ही पुराने तरीके से दिखाया गया है। 2024 में दीपफेक तकनीक काफी एडवांस हो चुकी है, और इसे ज्यादा इंटेलिजेंट तरीके से दिखाया जा सकता था।
  4. किरदारों का विकास नहीं: फिल्म में किरदारों का विकास बहुत ही सीमित है। अनन्या पांडे का किरदार एक ही इमोशनल स्टेट में रहता है, जिससे दर्शकों को उसके साथ ज्यादा जुड़ाव महसूस नहीं होता।

फिल्म की कुछ सकारात्मक बातें

फिल्म के बारे में अगर कुछ सकारात्मक बात की जाए तो इसका रनटाइम एक बड़ी राहत है। फिल्म सिर्फ 1 घंटे 40 मिनट की है, जो ज्यादा लंबी नहीं है। इससे दर्शकों को बहुत ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं पड़ती।

इसके अलावा, अनन्या पांडे की एक्टिंग में सुधार देखा जा सकता है। भले ही उनका किरदार बहुत चैलेंजिंग नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने रोल को अच्छी तरह निभाया। उनके फैंस के लिए यह एक पॉजिटिव साइन हो सकता है कि वह भविष्य में और बेहतर रोल्स में नजर आएंगी।

फिल्म के कुछ कॉमेडिक डायलॉग्स भी हैं, जो सुमुखी सुरेश ने लिखे हैं। हालांकि, ये डायलॉग्स उतने मजेदार नहीं हैं, लेकिन फिर भी कुछ हद तक फिल्म में हल्कापन लाने में मदद करते हैं।

फिल्म की थीम और मैसेज

“CTRL” हमें यह दिखाने की कोशिश करती है कि अगर हम अपनी डिजिटल लाइफ को कंट्रोल नहीं करेंगे, तो इसका असर हमारी असली जिंदगी पर भी पड़ सकता है। लेकिन फिल्म में जो मैसेज दिया गया है, वह इतना साधारण है कि शायद ही किसी को इससे कुछ नया सीखने को मिले।

फिल्म का सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि यह हमें वही बातें बार-बार बताने की कोशिश करती है, जिन्हें हम पहले से जानते हैं। जैसे कि हमें टर्म्स एंड कंडीशन्स पढ़ने चाहिए, सोशल मीडिया पर हमारी प्राइवेसी खतरे में है, और AI खतरनाक हो सकता है। लेकिन आज के दौर में यह बातें इतनी आम हो चुकी हैं कि इन पर कोई खास ध्यान नहीं देता।

ALSO READ

निष्कर्ष

अगर आप एक AI या डेटा प्राइवेसी पर आधारित नई और चौंकाने वाली फिल्म की तलाश में हैं, तो “CTRL” शायद आपके लिए सही फिल्म नहीं होगी। इसमें कुछ भी नया नहीं है, और फिल्म का स्क्रीनप्ले भी बहुत ही साधारण है। हालांकि, अगर आप सिर्फ टाइम पास के लिए कुछ देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म एक बार देखने लायक हो सकती है।

“CTRL” एक ऐसी फिल्म है, जो शायद हमारे माता-पिता या उन लोगों के लिए ज्यादा प्रभावी हो सकती है, जो डिजिटल दुनिया और AI के खतरों से ज्यादा वाकिफ नहीं हैं। लेकिन युवा पीढ़ी, जो रोज़ AI और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती है, उनके लिए यह फिल्म कोई बड़ा इम्पैक्ट छोड़ने में असफल रहती है।

फिल्म का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि इसे देखना ज्यादा लंबा नहीं है, और अगर आपको अनन्या पांडे या विहान समत की एक्टिंग पसंद है, तो यह आपके लिए एक हल्की-फुल्की फिल्म हो सकती है।