Sector 36 Movie Review : सेक्टर ३६ मूवी रिव्यु

Sector 36 Movie Review
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Sector 36 Movie Review : सेक्टर ३६ मूवी रिव्यु : फिल्में हमें आमतौर पर कल्पनाओं की दुनिया में ले जाती हैं, जहां हम नायक-नायिका की कहानियों में खो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी, सिनेमा हमारी कल्पनाओं से परे जाकर हमें उस कड़वी सच्चाई से रूबरू कराता है, जिसे हम अक्सर अनदेखा करना चाहते हैं। “सेक्टर 36” एक ऐसी ही फिल्म है। यह केवल एक मनोरंजक अनुभव नहीं है, बल्कि यह एक झकझोर देने वाली कहानी है, जो आपको गहराई से सोचने पर मजबूर करती है।

Sector 36 Movie Review : सेक्टर ३६ मूवी रिव्यु

Sector 36 Movie Review : सेक्टर ३६ मूवी रिव्यु
Sector 36 Movie Review : सेक्टर ३६ मूवी रिव्यु

मैडडॉग फिल्म्स की एक और अनोखी पेशकश

सेक्टर 36 की सबसे बड़ी विशेषता इसका निर्माण है। मैडडॉग फिल्म्स का नाम आते ही हमारी सोच में कम बजट में बड़ी कहानियों को दर्शाने का ख्याल आता है। यह प्रोडक्शन हाउस हमेशा से ऐसे कंटेंट के लिए जाना जाता है, जो दर्शकों को अपने साथ बांध लेता है। इस फिल्म के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। जहां हम अक्सर बड़े सितारों और भव्य सेट्स के बारे में चर्चा करते हैं, वहीं मैडडॉग फिल्म्स ने दिखाया है कि असली ताकत अच्छी कहानी और सशक्त अभिनय में है।

कहानी की पृष्ठभूमि: निठारी कांड पर आधारित सच्ची घटना

सेक्टर 36 की कहानी निठारी कांड पर आधारित है, जो भारतीय इतिहास के सबसे भयावह और विचलित करने वाले अपराधों में से एक है। निठारी कांड की सच्ची घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। छोटे बच्चों का गायब होना और फिर उनकी लाशों का एक नाले से बरामद होना, इस कहानी को बेहद भयावह बनाता है।

यह मामला उस समय के लिए इतना विचलित करने वाला था कि लोगों को यकीन करना भी मुश्किल हो रहा था कि ऐसा अपराध भारत में घटित हुआ है। बच्चों का अपहरण और हत्या के बाद उनके शरीर के हिस्सों का इस्तेमाल करना – ये सब एक साधारण पुलिस केस से बढ़कर एक मानसिक विकृति को दर्शाता है।

विक्रांत मेसी का दमदार प्रदर्शन

सेक्टर 36 में विक्रांत मेसी का प्रदर्शन बेमिसाल है। विक्रांत पहले ही “12th फेल” जैसी फिल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं, लेकिन इस फिल्म में उनका किरदार न केवल दर्शकों को डराता है, बल्कि उन्हें गहरे मानसिक स्तर पर प्रभावित भी करता है। उनका चरित्र एक साधारण व्यक्ति से विलन में बदलता है, और इस परिवर्तन को उन्होंने इतने सहज ढंग से निभाया है कि दर्शक उनके साथ पूरी तरह से जुड़ जाते हैं।

फिल्म का एक सीन जिसमें विक्रांत और दीपक डोबरियाल आमने-सामने आते हैं, वह इतना प्रभावशाली है कि वह आपके मन में गहराई तक बस जाता है। दीपक डोबरियाल, जो आमतौर पर कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं, इस फिल्म में एक गंभीर पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका में नजर आते हैं। यह ट्रांसफॉर्मेशन भी फिल्म की एक बड़ी ताकत है।

फिल्म की सच्चाई और रियलिज्म

सेक्टर 36 की एक और खास बात यह है कि यह केवल एक मर्डर मिस्ट्री नहीं है। यह फिल्म क्राइम को उस नज़रिए से देखती है, जो आम तौर पर सिनेमा में नहीं दिखाया जाता। यह केवल अपराध की जांच पर ध्यान केंद्रित नहीं करती, बल्कि यह उस अपराधी के मानसिक हालात को भी समझने की कोशिश करती है।

यह फिल्म आपको उस अपराधी के मनोविज्ञान के करीब ले जाती है, जो इस तरह के भयानक अपराध करता है। फिल्म में बहुत सी ऐसी बातें दिखाई गई हैं, जिन्हें आपने आज तक न किसी किताब में पढ़ा होगा और न ही इंटरनेट पर देखा होगा। सेक्टर 36 इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें बिना किसी फिल्टर के सच्चाई को दर्शाने की कोशिश की गई है।

सेंसरशिप और ओटीटी का चुनाव

फिल्म ने थिएटर की जगह ओटीटी प्लेटफॉर्म को क्यों चुना, इसका जवाब फिल्म देखने के बाद आसानी से समझ में आ जाता है। थिएटर में सेंसरशिप के कारण बहुत सी ऐसी महत्वपूर्ण बातें छूट जातीं, जो इस फिल्म की असली ताकत हैं। फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य और संवाद हैं, जिन्हें सेंसर बोर्ड शायद मंजूरी नहीं देता, लेकिन ओटीटी पर इन दृश्यों को बिना किसी कटौती के दिखाया जा सका है।

यह फिल्म आपको डराने के साथ-साथ सोचने पर मजबूर करती है। सेक्टर 36 किसी साधारण हॉरर फिल्म की तरह नहीं है, जहां खून-खराबा और चीख-पुकार हो। यह डर और असहजता आपके मन में बस जाती है, और आप इस फिल्म के प्रभाव से लंबे समय तक बाहर नहीं आ पाते।

फिल्म का स्क्रिप्ट और डायलॉग्स

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी कहानी और संवाद हैं। संवाद इतने सशक्त हैं कि वे आपको कई बार असहज कर देते हैं। फिल्म में राइटिंग इतनी कसी हुई है कि हर संवाद आपको फिल्म के करीब ले जाता है। सेक्टर 36 में कोई गाना नहीं है, कोई रोमांस नहीं है, कोई हीरोपंती नहीं है। यह केवल और केवल कहानी और किरदारों पर ध्यान देती है।

विक्रांत मेसी का किरदार आपको न केवल डराता है, बल्कि आपको उस किरदार के साथ एक अजीब सा कनेक्शन भी महसूस होता है। आप उसके दर्द और उसकी मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश करते हैं। दीपक डोबरियाल का किरदार भी बहुत गहराई लिए हुए है।

फिल्म की कमजोर कड़ियां

हालांकि फिल्म की बहुत सी बातें सराहनीय हैं, लेकिन कुछ जगहों पर यह थोड़ी कमजोर भी लगती है। सबसे बड़ी कमी यह है कि फिल्म में सिर्फ दो मुख्य किरदारों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। निठारी कांड के विक्टिम्स पर गहराई से ध्यान नहीं दिया गया, जिससे दर्शकों को उनके साथ ज्यादा जुड़ने का मौका नहीं मिला।

फिल्म की एंडिंग भी थोड़ी फिल्मी लगती है। एक साइको क्रिमिनल की गिरफ्तारी का दृश्य और भी ज्यादा दमदार और चौंकाने वाला हो सकता था। सेक्टर 36 में एंडिंग का यह खास पहलू थोड़ा कमजोर रह गया।

फिल्म का समापन और समग्र अनुभव

सेक्टर 36 एक ऐसी फिल्म है, जो आपको गहराई से प्रभावित करती है। यह फिल्म सिर्फ देखने के लिए नहीं है, बल्कि यह आपको लंबे समय तक याद रहती है। विक्रांत मेसी और दीपक डोबरियाल का अभिनय इतना जबरदस्त है कि आप उन्हें असली जीवन के पात्रों के रूप में देखने लगते हैं।

इस फिल्म को देखने के बाद आप निठारी कांड की सच्चाई के और भी करीब महसूस करेंगे। यह एक ऐसा अनुभव है, जिसे आप कभी भूल नहीं पाएंगे। यदि आपको डार्क और रियलिस्टिक सिनेमा पसंद है, तो सेक्टर 36 आपके लिए एक परफेक्ट चॉइस है।

फिल्म को पांच में से चार स्टार्स मिलते हैं। इसकी वजह है इसका सशक्त कंटेंट, दमदार अभिनय, और बिना किसी मिलावट के प्रस्तुत की गई सच्चाई। हालांकि कुछ जगहों पर फिल्म कमजोर पड़ती है, लेकिन इसके बावजूद यह एक शानदार अनुभव है।

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निष्कर्ष

सेक्टर 36 एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अनुभव है। यह आपको डराता है, असहज करता है, और सोचने पर मजबूर करता है। विक्रांत मेसी और दीपक डोबरियाल ने अपने करियर के बेहतरीन प्रदर्शन दिए हैं, और फिल्म की कहानी आपको गहराई से प्रभावित करती है। फिल्म में कहीं भी टाइमपास नहीं है, और यह अपनी पूरी अवधि में आपको बांधे रखती है।

यदि आप डार्क थ्रिलर और सच्ची घटनाओं पर आधारित सिनेमा के शौकीन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए एक बेहतरीन चॉइस होगी। फिल्म को जरूर देखें, लेकिन बच्चों के साथ नहीं, क्योंकि यह फिल्म किसी मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि एक कठोर वास्तविकता की तस्वीर है।