Stree 2 movie Review : हंसी और डर का एक रोमांचक मिश्रण

Stree 2 movie Review
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Stree 2 movie Review : हंसी और डर का एक रोमांचक मिश्रण: श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव की बहुप्रतीक्षित फिल्म “स्त्री 2” आखिरकार थिएटर में रिलीज हो चुकी है। फिल्म को लेकर दर्शकों के बीच भारी उत्साह था, खासकर उन लोगों के बीच जो पहले पार्ट या इसके यूनिवर्स से परिचित हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या “स्त्री 2” ने अपनी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए दर्शकों को वही मजा दिया, जो उन्होंने चाहा था?

Stree 2 movie Review : हंसी और डर का एक रोमांचक मिश्रण

Stree 2 movie Review : हंसी और डर का एक रोमांचक मिश्रण
Stree 2 movie Review : हंसी और डर का एक रोमांचक मिश्रण

अगर आप “स्त्री 2” देखने जा रहे हैं और आपने इसके पहले पार्ट या यूनिवर्स की अन्य फिल्में नहीं देखी हैं, तो थोड़ी उलझन का सामना कर सकते हैं। फिल्म की शुरुआत में ही, निर्देशक ने दर्शकों को थोड़ा गाइड करने के लिए “स्त्री” के पहले भाग का एक छोटा रीकैप पेश किया है, ताकि कहानी को समझने में आसानी हो। यहां पंकज त्रिपाठी के किरदार द्वारा एक गाना गाकर इसे समझाया गया है, जो काफी मनोरंजक है। हालांकि, पूरी तरह से कहानी में डूबने के लिए पहले पार्ट को देखना ज़रूरी है। यदि आपने वरुण धवन की “भेड़िया” भी देखी है, तो यह आपको और ज्यादा मददगार साबित होगा, क्योंकि ये सभी फिल्में एक हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स का हिस्सा हैं।

कॉमेडी का डोज़

फिल्म के नाम में ‘हॉरर’ पहले आता है, लेकिन असल में “स्त्री 2” में कॉमेडी का अधिक महत्व है। फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी हंसी-मजाक है। यह कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म का पहला हाफ दर्शकों को खूब हंसाता है। मेरे खुद के अनुभव में, एक समय ऐसा भी आया जब हंसी के कारण पेट में दर्द होने लगा था।

फिल्म में कई ऐसे मजेदार संवाद हैं जो किसी और फिल्म में अजीब लग सकते थे, लेकिन यहां वे बेहद सटीक लगे। यह थिएटर एक्सपीरियंस को और भी मजेदार बनाता है, जब आप एक पैक्ड हॉल में बैठकर चारों तरफ हंसी-ठहाके सुनते हैं। खासकर फिल्म के फर्स्ट हाफ में, जहां ऐसे कई सीक्वेंस हैं जो दर्शकों को लगातार हंसाते रहते हैं।

एक मजेदार सीन में, जब चार मुख्य किरदार – राजकुमार राव, अपारशक्ति खुराना, पंकज त्रिपाठी और अभिषेक बनर्जी – रात के अंधेरे में एक डरावनी जगह जाते हैं, वहां एक ऐसी स्थिति बनती है, जिसमें पूरी गैंग भागम-भाग करती है। यह सीक्वेंस इतना लंबा और हंसी से भरा हुआ है कि मेरी सांसें थमने लगी थीं।

कलाकारों का बेहतरीन प्रदर्शन

इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी कास्ट है, जो अपने जबरदस्त कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को गुदगुदाने में सफल रही है। राजकुमार राव और अपारशक्ति खुराना अपने किरदारों के साथ न्याय करते हैं, लेकिन पंकज त्रिपाठी का अभिनय सबसे ज्यादा प्रभावशाली है। उन्होंने फिल्म के हर छोटे-बड़े संवाद को इतनी सहजता से बोला है कि दर्शक उनके हर डायलॉग पर हंसे बिना नहीं रह सकते।

अभिषेक बनर्जी का भी यहां बड़ा योगदान है। उनके हर छोटे-छोटे रिएक्शन दर्शकों को खूब हंसाते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग इतनी शानदार है कि वह छोटे संवादों के जरिए भी बड़ी हंसी पैदा कर देते हैं। पंकज त्रिपाठी और अभिषेक बनर्जी का संयुक्त प्रदर्शन फिल्म को एक अलग ऊंचाई पर ले जाता है।

दूसरी छमाही: जब चीजें होती हैं गंभीर

फिल्म के पहले हाफ में कॉमेडी का भरपूर डोज़ दिया गया है, लेकिन दूसरा हाफ थोड़ा गंभीर हो जाता है। हालांकि इसमें भी हंसी-मजाक की जगहें बनी रहती हैं, लेकिन कहानी गंभीर मोड़ लेती है। फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पहले पार्ट में खत्म हुई थी। स्त्री, जो एक डरावनी आत्मा थी, अब जा चुकी है, और एक नया भूत “सर कटा” गांव पर संकट बनकर आया है।

पहले पार्ट में जहां आदमी रात को बाहर निकलने से डरते थे, वहीं इस बार औरतें भी अपने घरों में सुरक्षित नहीं हैं। यह नया भूत किससे संबंधित है, और इसके पीछे की कहानी क्या है, ये फिल्म के दौरान धीरे-धीरे सामने आता है। यहां से फिल्म का टोन भी बदल जाता है, और कॉमेडी से हॉरर की ओर ट्रांजिशन हो जाता है।

श्रद्धा कपूर का किरदार

अगर आप श्रद्धा कपूर के बड़े फैन हैं और सिर्फ उनके लिए फिल्म देखने जा रहे हैं, तो थोड़ा संभल जाएं। उनका स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा नहीं है। फिल्म में उन्हें कुछ पावरफुल मोमेंट्स दिए गए हैं, लेकिन उनका किरदार मुख्य रूप से राजकुमार राव और उनके दोस्तों की कहानी के इर्द-गिर्द ही घूमता है।

हालांकि फिल्म उनके किरदार से जुड़े कुछ रहस्यों को सुलझाती है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब अब भी अधूरे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में इस यूनिवर्स में उनकी भूमिका कैसे विकसित होती है।

हॉरर और एक्शन

फिल्म में हॉरर का भी तड़का है, लेकिन यह उतना प्रभावशाली नहीं है जितना कि इसके पहले पार्ट में था। कुछ सीन्स वाकई में डराते हैं, लेकिन वह संख्या में बहुत कम हैं। मेरे खुद के अनुभव में, दो-तीन बार मैं जरूर चौंक गया था, लेकिन अधिकांश फिल्म कॉमेडी और एक्शन पर आधारित है।

फिल्म के अंतिम हिस्से में, हॉरर से हटकर कहानी सुपरनेचुरल क्रिएचर्स और मॉन्स्टर फाइट की ओर मुड़ जाती है। यहां से फिल्म एक तरह के एवेंजर्स-स्टाइल लड़ाई में बदल जाती है, जहां विभिन्न शक्तिशाली पात्र आपस में भिड़ते हैं। यह देखकर यह समझ में आता है कि फिल्म अब इस यूनिवर्स को बड़े स्तर पर ले जाना चाहती है।

वीएफएक्स और क्लाइमेक्स

फिल्म के अंत में एक बड़ी बैटल दिखाई गई है, जहां वीएफएक्स का अच्छा उपयोग किया गया है। हालांकि, कुछ सीन्स में वीएफएक्स थोड़ा कमजोर नजर आता है, खासकर जब मॉन्स्टर फाइट्स की बात आती है। लेकिन इसे नजरअंदाज किया जा सकता है, क्योंकि फिल्म का बाकी हिस्सा इतना मनोरंजक है कि यह छोटी-छोटी खामियां महत्वपूर्ण नहीं लगतीं।

फिल्म का क्लाइमेक्स “स्त्री” यूनिवर्स को पूरी तरह से विस्तार देता है। अगर आपने पहले से इस यूनिवर्स की अन्य फिल्में देखी हैं, तो आपको पोस्ट-क्रेडिट सीन का भी इंतजार करना चाहिए। यहां फिल्म ने अपने भविष्य की दिशा की ओर इशारा किया है, जहां अन्य फिल्मों के किरदारों को जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।

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फाइनल वर्डिक्ट

कुल मिलाकर, “स्त्री 2” एक बेहतरीन मनोरंजन पैकेज है। इसकी कॉमेडी आपको खूब हंसाती है, खासकर इसके पहले हाफ में। फिल्म की कास्ट, खासकर पंकज त्रिपाठी और अभिषेक बनर्जी, अपने शानदार अभिनय से फिल्म को और भी मजेदार बनाते हैं। हॉरर के तत्व सीमित हैं, लेकिन जहां डर है, वह प्रभावशाली है।

अगर आप इस वीकेंड पर कोई मजेदार फिल्म देखना चाहते हैं, तो “स्त्री 2” आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकती है। यह एक पूरी तरह से फैमिली एंटरटेनर है, और इसका सिनेमाई यूनिवर्स इसे और भी रोचक बनाता है। बस ध्यान रखें कि अगर आपने इसके पहले पार्ट को नहीं देखा है, तो फिल्म का पूरा मजा लेने के लिए इसे पहले देख लेना बेहतर होगा।

फिल्म खत्म होने के बाद थिएटर से तुरंत न उठें, क्योंकि पोस्ट-क्रेडिट सीन आपके लिए एक और सरप्राइज लेकर आएगा।